विनायक दामोदर सावरकर पुण्यतिथी (Savarkar Punyatithi): आज दिनांक 26 फरवरी 2024 को विनायक दामोदर सावरकर की पुण्यतिथि है ! विनायक दामोदर सावरकर के बारे में इतिहास में बहुत कुछ झूठ लिखा पड़ा है और तो और इतिहासकारों के भी सावरकर को लेकर दो भाग बटे पड़े है !
इतिहासकरो कि विनायक दामोदर सावरकर के बारे में लगभग लगभग सारी बातें झूठी और मनगढ़ंत वैसे ही है जैसे किसी प्रेमी का अपने प्रेमिका के लिए चांद तारे तोड़कर लाने की बात ! आज विनायक दामोदर सावरकर पुण्यतिथि पर हम आपको ट्रेन्ड्स आजकल में संपूर्ण सत्य का ज्ञान कराएंगे वह भी एक-एक बात पूरी सत्यता के साथ –
विनायक दामोदर सावरकर कौन है?
विनायक दामोदर सावरकर का जन्म महाराष्ट्र राज्य के पुणे जिले में एक छोटे से गांव भागूर में सन 1883 को हुआ ! उनकी माता का नाम राधाबाई और पिताजी का नाम दामोदर पंत सावरकर था ! विनायक दामोदर सावरकर कुल चार बहन भाई थे जिसमें गणेश दामोदर सावरकर उनके बड़े भाई थे वहीं नारायण दामोदर सावरकर उनके छोटे भाई थे ! उनकी एक बहन भी थी जिसका नाम नैना बाई था !
विनायक दामोदर सावरकर के बाल्य काल में ही उनकी माता जी का है या महामारी की वजह से स्वर्गवास हो गया ! तथा उनके 16 वर्ष के होते-होते उनके पिताजी भी इसी बीमारी का काल बन गए ! तब उनके परिवार का संपूर्ण पालन पोषण उनके बड़े भाई गणेश ने किया ! इस प्रकार के दुख और आर्थिक तंगी से विनायक दामोदर सावरकर पर गहरा प्रभाव पड़ा और वह अपने पैरों पर खड़ा होकर आर्थिक रूप से सुखी जीवन यापन करने के सपने देखने लगा !
विनायक दामोदर सावरकर का परिवार चित्रण
- माता का नाम – राधाबाई
- पिता का नाम – दामोदर पंत सावरकर
- बड़े भाई का नाम – गणेश दामोदर सावरकर
- छोटे भाई का नाम – नारायण दामोदर सावरकर
- छोटी बहन का नाम – नैना बाई
शादी पश्चात् परिवार
- पत्नी का नाम – यमुना देवी
- पुत्र का नाम – विश्वास सावरकर
- पुत्री का नाम – प्रभात सावरकर
- ससुर का नाम – रामचन्द्र जी सावरकर
विनायक दामोदर सावरकर की शिक्षा दीक्षा
दामोदर सावरकर ने वर्ष 1901 में अपनी हाईस्कूल की परीक्षा पास की ! पढ़ने में उनकी रुचि बहुत थी और पढ़ने के साथ-साथ और लेखन कार्य भी करते थे ! अपने पिता की मृत्यु के एक एक वर्ष पश्चात उन्होंने यमुना देवी से कर लिया ! वर्ष 1902 में उन्होंने फर्ग्युसन कालेज पुणे में बीए करने के लिए दाखिला लिया तब उनके ससुर ने उच्च शिक्षा का भार उठाया !
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विनायक दामोदर सावरकर के क्रांतिकारी प्रयास
दामोदर सावरकर जब अपने कॉलेज में थे तब वह ऐसे क्रांतिकारी लोगों से मिले उनके साथ उठे बैठे और उनकी बातों से बहुत प्रभावित हुए तब उन्हें देश की सेवा का भाव मन में जागृत हुआ और तब उन्होंने पुणे में ही वर्ष 1904 में अभिनव भारत नाम के एक संस्था का गठन किया !
अभिनव भारत संस्था ने बंगाल के विभाजन के बाद वर्ष 1905 में पुणे और आसपास के क्षेत्र में विदेशी वस्त्र की होली जलाई और अभिनव भारत के कार्यकर्ताओं के साथ घूम घूम कर राष्ट्रभक्ति से लबालब भाषण दिए ! इससे वह बाल गंगाधर तिलक की आंखों में आ गए और फिर तिलक जी के प्रयासों से ही विनायक दामोदर सावरकर को आगे पढ़ने के लिए छात्रवृत्ति मिली !
पुणे से अपनी कॉलेज की पढाई छात्रवृति के दम पर कर के विनायक दामोदर सावरकर वकालत करने के लिए लन्दन चले गए ! वह जाने के बाद उन्होंने वर्ष 1907 में लंदन के इंडिया हाउस में प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की स्वर्ण जयन्ती का आयोजन करते हुए भाषण दिया ! तब से वह अंग्रेजो की नज़र में आ गए !
विनायक दामोदर सावरकर पुण्यतिथि की तारीख (Savarkar punyatithi date)
दिनांक 26 फ़रवरी को हर वर्ष विनायक दामोदर सावरकर की पुण्यतिथि मनाई जाती है ! इस दिन सावरकर पञ्चतत्व में विलीन हुए थे ! सावरकर ने अपने जीवन मे कई ऐसे कृत्य किए है जिनकी वजह से उन्हें कई बार लोगो की लानत झेलनी पड़ी और कई बार लोगो ने उन के प्रयासों को सराहा !
यह लेख सिर्फ सावरकर के शुरूआती जीवन और शुरूआती संघर्ष के चित्रित करता है ! उन के आगे के जीवन के बारे में हम कभी कोई और आर्टिकल के साथ आपके सामने उपस्थित होंगे ! यदि आपको यह दी गयी जानकारी सही लगी, तो कृपया इसे अपने दोस्तों के साथ Share करें ! ऐसे ही और भी बेहतरीन ट्रेन्ड्स को सबसे पहले जानने के लिए Trendsajkal.com से जुड़े रहें !
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