जया एकादशी 2024 (Jaya Ekadashi 2024): आज 20 February 2024 के दिन जया एकादशी का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाएगा, यह पर्व और व्रत हिन्दू धर्म में अपना एक खास महत्त्व रखता है जो हर वर्ष माघ माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है !
वैसे तो हिन्दू धर्म में हर माह ही एकादशी को हमेशा से ही महत्वपूर्ण माना जाता रहा है लेकिन माघ माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी सबसे विशेष और खास मानी जाती है क्युकी इस दिन को सनातन धर्म में भगवन विष्णु और माँ लक्ष्मी की उपासना का दिन माना जाता है !
आज जया एकादशी 2024 (Jaya Ekadashi 2024) सर्च टर्म इंटरनेट पर काफी ट्रेंड कर रही है, इसलिए ट्रेंड को फॉलो करते हुए आज हम ट्रेंड्स आजकल में आपके लिए लेकर आए हैं जया एकादशी पर्व से जुड़ी संपूर्ण जानकारी-
- 1 जया एकादशी पर्व का महत्त्व (Jaya Ekadashi Importance)
- 2 जया एकादशी व्रत के नियम (Jaya Ekadashi vart)
- 3 जया एकादशी व्रत के लिए यह खाना वर्जित है
- 4 जया एकादशी पूजाविधि (Jaya Ekadashi 2024)
- 5 जया एकादशी पूजा दिनांक और समय (Jaya Ekadashi 2024 Timing)
- 6 जया एकादशी व्रत कथा (Jaya Ekadashi Vrat Katha)
- 7 जया एकादशी व्रत कथा सुने (Jaya Ekadashi Vrat Katha)
जया एकादशी पर्व का महत्त्व (Jaya Ekadashi Importance)
जया एकादशी का व्रत करने से साधक को बुरे कर्मों और कुयोनि से मुक्ति मिलती है, इस व्रत के प्रताप से साधक के सारे बुरे कर्मों और पापों का नाश हो जाता है साथ ही साथ जगत के पालनहार भगवान विष्णु और धन-धान्य की देवी माता लक्ष्मी के आशीर्वाद से सुख और वैभव की प्राप्ति होती है !
इसीलिए सनातन धर्म में जया एकादशी (Jaya Ekadashi 2024) के व्रत को खास महत्व दिया गया है ! साधक इस दिन व्रत करके घर में सुख शांति का आशीर्वाद मांगते हैं, यह व्रत संस्कारों को शुद्ध कर देता है जिससे घर में खुशियों का आगमन होता है !
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जया एकादशी व्रत के नियम (Jaya Ekadashi vart)
20 Feb 2024 Ekadashi: माघ महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी भी कहते हैं, जो आज 20 फरवरी 2024 एकादशी के रूप में भी मनायी जा रही है ! इस दिन साधक व्रत रखते है तो आईए जानते है इस खास दिन में लिए व्रत नियम –
- एकादशी का व्रत रखने से पहले की दशमी के दिन से ही तामसिक भोजन का त्याग करना चाहिए
- इस दिन तुलसी से भगवान की पूजा करनी चाहिए जो एक दिन पूर्व ही तोड़ कर रख लेनी चाहिए
- साधक को व्रत करने के दौरान क्रोध, ईर्ष्या और दूसरों की बुराई आदि जैसे कर्मो से बचना चाहिए
- साधक का मन व्रत के दौरान पवित्र होना चाहिए किसी के बारे में भी गलत नहीं सोचना और बोलना चाहिए
- यदि साधक आदमी है तो व्रत वाले दिन नाखून बाल दाढ़ी आदि काटने से बचना चाहिए
- यदि साधक स्त्री है तो इस दिन बाल नहीं धोने चाहिए
- साधक को कुछ चीजों का सेवन त्यागना चाहिए जो नीचे दी गई है –
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जया एकादशी व्रत के लिए यह खाना वर्जित है
यदि कोई साधक जया एकादशी (Jaya Ekadashi 2024) का व्रत और भगवान विष्णु की उपासना करना चाहता है तो इस दिन नीचे दिए हुए खाने से साधक को बचाना चाहिए –
- साधक को चावल खाने से बचना चाहिए क्योंकि इस देवताओं का भोजन माना जाता है
- व्रत के दौरान साधक को सफेद नमक की जगह सेंधा नमक खाना चाहिए
- इस दिन किसी और का दिया हुआ अन्न जल ग्रहण नहीं करना चाहिए
- व्रत के दौरान और व्रत से एक दिन पूर्व साधक को बैंगन का त्याग भी करना चाहिए
- जया एकादशी की उपासना के दिन मांस, मछली और मदिरा का त्याग करना चाहिए
- इस दिन प्याज और लहसुन का त्याग भी सर्वोत्तम माना जाता है
- कुछ साधु-संत तो इस दिन उड़द और मसुर जैसी दाल भी खाने से बचते हैं
जया एकादशी पूजाविधि (Jaya Ekadashi 2024)
- जया एकादशी का व्रत रखने वाले साधक को सूर्य देव से पहले उठकर स्नान कर लेना चाहिए
- साधक को सुबह से ही भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का स्मरण करना चाहिए
- सूर्योदय के पश्चात साधक को भगवान विष्णु की मूर्ति का “ओम नमः भगवते वासुदेवाय” मंत्र बोलते हुए स्नान करना चाहिए
- भगवान का स्नान करने के पश्चात पुष्प, धूप-बत्ती, नारियल, चंदन और मोली के धागे आदि से आरती उतारनी चाहिए
- इस दिन साधक को भूखे पेट व्रत कर भगवन का स्मरण करते हुए पूजा-पाठ करनी चाहिए
- व्रत के सफल होने पर साधक को जगत के पालनहार श्री भगवान विष्णु का सानिध्य प्राप्त होगा
जया एकादशी पूजा दिनांक और समय (Jaya Ekadashi 2024 Timing)
जया एकादशी 20 February 2024 के दिन मनाई जायेगी, इसकी टाइमिंग नीचे दी जा रही है –
- एकादशी स्टार्ट – 19 February 2024 को 8:49 am पर
- एकादशी ख़त्म – 20 February 2024 को 9:55 am पर
- जया एकादशी परारा टाइम (Jaya Ekadashi Parana time) – 19 February 2024 को 6:55 am to 09:11 am के बीच
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जया एकादशी व्रत कथा (Jaya Ekadashi Vrat Katha)
Jaya Ekadashi Vrat Katha: जया एकादशी (Jaya Ekadashi 2024) का व्रत करते हुए साधक को व्रत कथा सुननी चाहिए –
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार अनंत काल में भगवान इंद्र की सभा और उत्सव चल रही थी, जिसमें सभी देवी-देवता और साधू-संत गायन और नृत्य के कार्यक्रम का लुफ्त उठा रहे थे ! सभी गंधर्व कन्याएं और पुरुष गायन और नृत्य का बेहद उत्साह के साथ प्रदर्शन कर रहे थे, इसी दौरान एक गंधर्व कन्या पुष्यवती की नजर गंधर्व पुरुष माल्यावन पर पड़ गई और पुष्यवती माल्यावन पर मोहित हो गई जिससे उस का नृत्य में ध्यान नहीं रहा और वह सुध-बुध खो कर अपनी लय-ताल से भटक गई !
पुष्पावती की तरह ही माल्यावन का भी यही हाल हो गया वह भी सही तरीके से गायन नहीं कर पा रहा था, यह देखकर सभा में मौजूद सभी लोग क्रोधित हो गए ! स्वयं भगवान नरेश इंद्र ने भी को क्रोधित होकर दोनों को प्रेत योनि में जाने का श्राप देकर स्वर्ग से बाहर निकाल दिया !
श्राप के असर से पुष्यवती और माल्यावन दोनों प्रेत योनि में चले गए जो उनके लिए काफी पीड़ा और कष्ट दायक हो गया ! दोनों पीड़ा ही पीड़ा में अपना जीवन यापन कर रहे थे ! तभी एक दिन अचानक माघ महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी (जया एकादशी) को माल्यावन और पुष्यवती ने अन्न-जल का सेवन नहीं किया और जगत के पालनहार भगवान श्री हरि विष्णु का स्मरण और पूजा पाठ करने लगे !
भगवान विष्णु दोनों की भक्ति-भाव को देखकर भावविभोर हो उठे और पुष्यवती और माल्यावन को उनकी पूजा और उपासना को देखकर प्रेत योनि से मुक्त कर दिया ! दोनों को भगवान के आशीर्वाद से सुंदर शरीर प्राप्त हुआ और दोनों फिर से स्वर्ग लोक चले गए !
स्वर्ग लोक में जाकर उन्होंने सबसे पहले देवों के देव इंद्र को प्रणाम किया तो वह चौंक गए और उन्होंने प्रेत योनि से मुक्त होने का उपाय पूछा ! जिसके जवाब में माल्यावन ने बताया कि जया एकादशी का व्रत के असर और भगवान विष्णु के उपासना के कारण हम दोनों को प्रेत योनि से मुक्ति मिली है इस प्रकार जो भी व्यक्ति जया एकादशी (Jaya Ekadashi 2024) का व्रत करेगा और भगवान विष्णु का सुमिरन करेगा उसे मोक्ष की प्राप्ति अवश्य होगी !
जया एकादशी व्रत कथा सुने (Jaya Ekadashi Vrat Katha)
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