सावित्रीबाई फुले बायोग्राफी (Savitribai Phule Biography): आज दिनांक 10 मार्च 2024 को भारत की पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले की पुण्यतिथि (savitribai phule punyatithi) है ! वैसे तो सावित्रीबाई फुले किसी परिचय की मोहताज नहीं है क्योंकि इतिहास के पन्नों में झांकने वाले हर एक व्यक्ति को सावित्रीबाई फुले के योगदान के बारे में अच्छे से जानकारी होगी !
सावित्रीबाई फूले न केवल भारत की पहली महिला शिक्षिका थीं बल्कि उन्होंने विधवाओं को शिक्षा देकर सती जैसी कुप्रथाओ को मिटाने के अलावा विधवा विवाह जैसे जैसे सुविचारों से समाज को बदलने का महत्वपूर्ण कार्य भी किया ! सावित्रीबाई फुले के साथ-साथ उनके जीवन साथी श्री ज्योतिबा फुले ने भी शिक्षा के क्षेत्र में समझ में कई सुधार किए !
आज हम ट्रेंड्स आजकल में 10 मार्च 2024 को सावित्रीबाई फुले की पुण्यतिथि (savitribai phule punyatithi) के अवसर पर, आपके लिए लेकर आए हैं सावित्रीबाई फुले की कंप्लीट बायोग्राफी –
- 1 सावित्रीबाई फुले बायोग्राफी (Savitribai Phule Biography)
- 2 सावित्रीबाई फुले जीवन (Savitribai Phule Early Life)
- 3 सावित्रीबाई फुले शिक्षा (Savitribai Phule Education)
- 4 सावित्रीबाई फुले का समाज सुधार (Savitribai Phule Social Upliftment)
- 5 सावित्रीबाई फुले पुण्यतिथी (Savitribai Phule death anniversary)
- 6 सावित्रीबाई फुले के कथन (Savitribai Phule Speach)
सावित्रीबाई फुले बायोग्राफी (Savitribai Phule Biography)
सावित्रीबाई फुले का जन्म भारत के महाराष्ट्र प्रांत के सतारा जिले के नायगांव गांव में हुआ लेकिन उन्होंने अपने जीवन साथी श्री ज्योतिबा राव फुले के साथ मिलकर महिलाओं के अधिकारों, शिक्षा और समाज सुधार के लिए पूरे भारत में सराहनीय कार्य किए ! उन्होंने सती जैसे को प्रथा को रोकने के अलावा विधवा पुनर्विवाह जैसे बुद्धिमानी निर्णय भी लिए !
वर्ष 1948 में सावित्रीबाई और ज्योतिबा राव फुले दोनों ने मिलकर पुणे के भिड़ेवाडा में भारतीय लड़कों के लिए एक आधुनिक स्कूल की स्थापना की ! दोनों फुले दंपति ने मिलकर समाज से जाति, लिंग, छुआछूत और कुप्रथाओं को मिटाने के लिए भरसक प्रयास किए !
नाम | सावित्री बाई फुले |
पति का नाम | ज्योतिबा फुले |
जन्म | 3 जनवरी, 1831 |
जन्म स्थान | महाराष्ट्र, भारत |
शिक्षा | शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम (अमेरिकी मिशनरी, सिंथिया फर्रार) |
बच्चे | यशवन्त फुले (दत्तक) |
सावित्रीबाई फुले जीवन (Savitribai Phule Early Life)
सावित्रीबाई फुले का जन्म सन 1831 में महाराष्ट्र प्रांत के सतारा जिले के नायगांव गांव के माली समुदाय में हुआ ! इनके तीन भाई-बहन थे ! सावित्रीबाई फुले की 10 वर्ष की उम्र में 13 वर्षीय ज्योतिबा राव फुले से विवाह कर दिया गया ! सावित्रीबाई फुले और ज्योतिबा राव की अपने कोई जैविक संतान पैदा नहीं की और उन्होंने एक विधवा के पुत्र को गोद लिया !
सावित्रीबाई जब छोटी थी तो उनके पिता ने उन्हें एक किताब पढ़ते हुए देख लिया तो किताब हाथ से छीन के दूर फेंक दी क्योंकि तब उच्च जाति के पुरुष ही शिक्षा का अधिकार रखते थे, इस घटना ने सावित्रीबाई फुले को अंदर तक जगजोड़ के रख दिया तब उन्होंने कसम खाई कि वह किसी भी कीमत पर अपनी पढ़ाई-लिखाई और शिक्षा पूरी करेगी !
सावित्रीबाई फुले शिक्षा (Savitribai Phule Education)
जब सावित्रीबाई फुले की शादी ज्योतिबा राव फुले से हुई तब वह अनपढ़ थी लेकिन सावित्रीबाई फुले की शिक्षा को लेकर जो मनोवृति थी उसे ज्योतिबा फुले बहुत प्रभावित थे, इसीलिए ज्योतिबा फुले आगे जाकर उन्हें शिक्षा ग्रहण कराई ! ज्योतिबा राव ने उनकी प्राथमिक शिक्षा जबकि उनके मित्र केशव शिवराम भावलकर ने उनकी माध्यमिक शिक्षा पूर्ण कराई !
इसके अतिरिक्त उन्होंने अमेरिकी मशीनरी सिंथिया फर्रार द्वारा संचालित शिक्षा केंद्र में शिक्षक-प्रशिक्षण का कार्यक्रम मे भाग लेकर सफलतापूर्वक पूर्ण किया और सावित्रीबाई भारत की पहली महिला शिक्षिका और प्रधानाध्यापिका बनीं !
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सावित्रीबाई फुले का समाज सुधार (Savitribai Phule Social Upliftment)
सावित्रीबाई फुले ने समाज सुधार की दृष्टि से अपने पति ज्योतिबा राव फुले के साथ मिलकर बहुत से कार्य किए, जिनमे से कुछ उल्लेखनीय प्रयास हम यहाँ सम्मिलत कर रहे है !
- महिलाओं की शिक्षा और सशक्तिकरण का कार्य
- महिला साक्षरता हेतु प्रोढ़: शिक्षा जैसे कार्यक्रम
- पहला गर्ल्स स्कूल स्थापित किया
- बाल विवाह और सति जैसी कुप्रथाओं के खिलाफ अभियान चलाया
- विधवा पुनर्विवाह का पुरज़ोर समर्थन किया
- दलितों के हक के लिए बाबा साहब बीआर अंबेडकर के साथ सामाजिक सुधार आंदोलन में भाग लिए
- छुआछूत, जाति और लिंग आधारित भेदभाव और पूर्वाग्रह को खत्म करने के लिए सक्रीय रूप से काम किया
- बलात्कार और गर्भवती पीड़ितों के लिए देखभाल और सुविधा गृह
- बालहत्या प्रतिबंधक गृह की शुरुआत
सावित्रीबाई फुले का परिवार उत्पीड़ित मलिक जाति से होने की वजह से तथा दूसरा उनके बेहतरीन सामाजिक सुधार प्रयास को देखते हुए ऊंची जाति के लोग उनके रास्ते में पत्थर और गंदगी भर देते थे तथा उन्हें बद्दी बद्दी गंदी-गंदी गालियां देते थे ! कभी उन पर मनुस्मृति और ब्राह्मण ग के विरुद्ध अध्ययन करने के आप भी लगे और उन्हें अपने पिताजी का घर छोड़ने को मजबूर कर दिया !
लेकिन सावित्रीबाई फुले कहां इन छोटे-छोटे का घटनाओं से घबराने वाली थी बल्कि वह और सशक्त होकर अपने पति ज्योतिबा राव फुले के साथ मिलकर 18 स्कूल खोल दिए जहां विभिन्न जातियों की छात्राओं को अध्यापन का कार्य नए जोश के साथ चालू किया !
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सावित्रीबाई फुले पुण्यतिथी (Savitribai Phule death anniversary)
savitribai phule punyatithi: सावित्रीबाई फुले का निधन 10 मार्च, 1897 को 66 वर्ष की आयु में बुबोनिक प्लेग नामक बीमारी के संक्रमण के कारण हुआ ! उनके गोद लिए हुए इस बच्चे यशवंत ने बुबोनिक प्लेग से बचाव के लिए एक क्लिच्निक खोला था वही उनका इलाज़ चल रहा था !
savitribai phule death date / savitribai phule punyatithi date ; 10 march 2024 या यु कहे savitribai phule 10 march को देवलोक चली गयी थी ! इसलिए लोग आज भी 10 मार्च को सावित्रीबाई फुले पुण्यतिथी मनाते है !
सावित्रीबाई फुले के कथन (Savitribai Phule Speach)
savitribai phule punyatithi पर आप उनके यह कथन याद करे-
- शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है जिस से आप दुनिया बदल सकते हैं
- आत्मनिर्भरता का एकमात्र मार्ग शिक्षा ही है
- शिक्षा हर महिला की मुक्ति की कुंजी होती है
सावित्रीबाई फुले की सम्पूर्ण जीवनी यहाँ से pdf फॉर्म में डाउनलोड करे !
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